Indore-Ujjain Route : अगर आप महाकाल के भक्त हैं तो यह आपके लिए अच्छी खबर है. दरअसल, मध्य प्रदेश की मोहन सरकार इंदौर-उज्जैन के बीच नया फोर लेन ग्रीन फील्ड हाईवे बनाने जा रही है.
इसके बन जाने से इंदौर एयरपोर्ट से महाकाल मंदिर आप मात्र 30 मिनट में पहुंच जाएंगे. इंदौर के एयरपोर्ट से यह फोर लेन ग्रीन फील्ड हाईवे सीधे महाकाल मंदिर तक जाएगी. सबसे खास बात है कि इस रूट पर कोई भी क्रॉसिंग नहीं होगी और न ही कोई यू टर्न होगा.
बता दें कि इंदौर-उज्जैन ग्रीन फील्ड 4 लेन को कैबिनेट से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है. उज्जैन स्थित चिंतामन गणेश मंदिर से इंदौर एयरपोर्ट तक की दूरी लगभग 70 किलोमीटर है. इसको दो हिस्से में बनाया जाएगा. इसमें उज्जैन सिंहस्थ बाइपास को टू लेन से 4 लेन बनाया जाना है. 20 किमी की इस सड़क के निर्माण की लागत 701 करोड़ होगी.
वहीं, उज्जैन-इंदौर के बीच 48 किमी का फोर लेन ग्रीन फील्ड रोड बनेगा. इस सड़क की लागत 1370 करोड़ होगी. इस सड़क को प्रशासकीय स्वीकृति मिल गई है.
मीडिया रिपोर्ट से मिली जानाकारी के मुताबिक, सीएम मोहन यादव ने इसको लेकर निर्देश दे दिया है, संबंधित अधिकारियों को इस परियोजना पर तेजी से काम करने के लिए निर्देशित किया गया है, जिससे जल्द से जल्द निर्माण प्रक्रिया प्रारंभ हो सके. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नए साल 2025 में टेंडर प्रकिया पूरी हो जाएगी. इसी के साथ निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा.
इंदौर-उज्जैन के बीच नया फोर लेन ग्रीन फील्ड हाईवे बन जाने से यात्री इंदौर एयरपोर्ट से सिंहस्थ बायपास फोरलेन सड़क मार्ग से चलकर आधे घंटे में सीधे महाकाल मंदिर पहुंच जाएंगे. इस सड़क को पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र से भी जोड़े जाने की योजना है.
ऐसे में पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र को जोड़ने से क्षेत्र के आर्थिक विकास में भी मददगार साबित होगी. वहीं, इस फोरलेन के निर्माण से जुड़े आसपास के गांवों में स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, होटल, गोदाम और पेट्रोल पंप के लिए जमीन पहले से ही रिजर्व की जा रही है. इससे अधिक से अधिक रोजगार के अवसर बढ़ेगे.
यही नहीं इंदौर-उज्जैन के बीच फोर लेन ग्रीन फील्ड हाईवे के अलावा उज्जैन-जावरा के बीच ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोलल्ड हाईवे का भी निर्माण होने वाला है.
इसके बनने से उज्जैन से दिल्ली या मुंबई का सफर आसान हो जाएगा. बताया जा रहा है कि मोहन सरकार ये सारी तैयारियां सिंहस्थ महाकुंभ को लेकर कर रही है. मोहन सरकार की कोशिश 2027 तक इन्हें पूरा करने की है.