मध्यप्रदेश का इंदौर एक ऐसा शहर है जहां लोग दूर-दूर से अपना इलाज करवाने के लिए आते है, लेकिन इसी शहर के एक नामी अस्पताल की बड़ी लापरवाही सामने आई है। इंदौर के CHL CBCC कैंसर अस्पताल में डॉक्टर द्वारा की गई लापरवाही ने एक युवक की जान ले ली।
युवक को था साधारण इन्फेक्शन
युवक को सिर्फ एक साधारण इन्फेक्शन था, जिसके कारण उसे बुखार आ रहा था, लेकिन डॉक्टर ने उसे ब्लड कैंसर का मरीज बताकर भर्ती किया और कीमोथैरेपी शुरू कर दी। इससे युवक की हालत बिगड़ी और अंततः उसकी मौत हो गई।
कलेक्टर से न्याय की गुहार
परिजनों ने कलेक्टर आशीष सिंह से न्याय की गुहार लगाई है, जिसके बाद इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई है।
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अस्पताल की लापरवाही और धोखाधड़ी का खुलासा
महिदपुर निवासी गुरभेज सिंह और कमलजीत कौर ने आरोप लगाया कि उनके बेटे जसमीत सिंह को इलाज के लिए CHL CBCC कैंसर अस्पताल में भर्ती किया गया था।
डॉक्टर विनय बोहरा ने 8 लाख का खर्च बताया
डॉक्टर विनय बोहरा ने जांच के बाद उसे ब्लड कैंसर का मरीज बताया और इलाज की शुरुआत करते हुए आठ लाख रुपए का खर्च बताया। इसके बाद बेटे को कैंसर अस्पताल में भर्ती किया गया।
परिजनों ने आरोप लगाया है कि इलाज के नाम पर अस्पताल प्रबंधन ने कुल 19 लाख रुपए खर्च होना बता दिया और कहा कि बेटा छह महीने में ठीक हो जाएगा। परिजनों का आरोप है कि इस दौरान कीमोथैरेपी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी कराया गया, लेकिन युवक की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ।
मुंबई में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
परिजनों ने बताया कि जब युवक की हालत ज्यादा बिगड़ी तो उन्होंने मुंबई के प्रसिद्ध टाटा मेमोरियल अस्पताल में सलाह ली। वहां डॉक्टरों ने रिपोर्ट देखकर बताया कि युवक को कैंसर नहीं था, बल्कि उसे सिर्फ इन्फेक्शन था। कीमोथैरेपी की आवश्यकता नहीं थी।
डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन पर कार्रवाई की मांग
इसी दौरान, डॉक्टर विनय बोहरा विदेश चले गए और युवक की स्थिति और बिगड़ गई, जिससे उसकी मौत हो गई। परिजनों ने एमआईजी थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई, लेकिन अब तक पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस पर परिजनों ने कलेक्टर कार्यालय में शिकायत की है, और कलेक्टर ने मामले की जांच के लिए एक टीम गठित की है।
कलेक्टर कार्यालय ने शुरू की जांच
सीएमएचओ डॉ. बीएस सैत्या के अनुसार, कलेक्टर कार्यालय से निर्देश मिलने के बाद जांच के लिए एक टीम गठित की गई है, जो अब इस मामले की गहन जांच करेगी। जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट कलेक्टर कार्यालय को सौंपी जाएगी और आगे की कार्रवाई की जाएगी।
यह एक गंभीर लापरवाही है
इस मामले ने अस्पतालों में इलाज की पारदर्शिता और चिकित्सा सेवा की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक तरफ मरीजों को इलाज की उम्मीद होती है, वहीं इस प्रकार के मामलों से विश्वास टूटता है।