दिल्ली-NCR, बिहार और पश्चिम बंगाल में मंगलवार सुबह 6 बजकर 35 मिनट पर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.1 थी। इस भूकंप का केंद्र तिब्बत के शिजांग में जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था।
भूकंप का असर नेपाल, भूटान सहित भारत के सिक्किम, उत्तराखंड में भी दिखा। फिलहाल भारत में भूकंप से जान माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है। नेपाल और चीन में भी नुकसान की अब तक कोई खबर नहीं मिली है।
नेपाल भूगर्भीय रूप से सक्रिय क्षेत्र में बसा है, जहाँ भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटें टकराती हैं, जिससे हिमालय का निर्माण होता है और भूकंप अक्सर आते रहते हैं।
भूकंप के झटके खास तौर पर बिहार में महसूस किए गए, जहां लोग अपने घरों और अपार्टमेंट से बाहर देखे गए।
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एक के बाद एक कई झटके
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) के अनुसार, तिब्बत के शिज़ांग में सुबह 6:35 बजे 10 किलोमीटर की गहराई पर भूकंप का जोरदार झटका आया। भूकंप का केंद्र अक्षांश 28.86 एन और देशांतर 87.51 ई पर स्थित था। एनसीएस के अनुसार, शिज़ांग में चार भूकंप आए। पहला भूकंप सुबह 5:41 बजे रिक्टर पैमाने पर 4.2 तीव्रता का था, दूसरा और सबसे बड़ा (7.1) सुबह 6:35 बजे, तीसरा सुबह 7:02 बजे 4.7 तीव्रता का और चौथा भूकंप 7:07 बजे 4.9 तीव्रता का था।
बिहार में भी महसूस हुए झटके
बिहार के मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, बेतिया, मुंगेर, अररिया, सीतामढ़ी, गोपालगंज, वैशाली, नवादा और नालंदा समेत कई इलाकों में भूकंप के झटके करीब 30 सेकंड तक महसूस किए गए। हालांकि, अभी तक किसी तरह के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है।
पहले भी आ चुके विनाशकारी भूकंप
नेपाल भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र में स्थित है और यहाँ पहले भी कई बड़े भूकंप आ चुके हैं। 2015 में नेपाल में दो विनाशकारी भूकंप आए थे, जिसमें 9,000 लोगों की जान चली गई थी और 22,309 लोग घायल हुए थे।
भूकंप क्यों आता है?
हमारी धरती की सतह मुख्य तौर पर 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
अरावली पर्वतमाला की दरार एक्टिव हुई, आते रहेंगे भूकंप
भूगोल के जानकार डॉ. राजेंद्र सिंह राठौड़ के अनुसार अरावली पर्वतमाला के पूर्व में एक भ्रंश रेखा (दरार) है। यह भ्रंश रेखा राजस्थान के पूर्वी तट से होते हुए धर्मशाला तक जाकर मिलती है। इसमें राजस्थान के जयपुर, अजमेर, भरतपुर इलाके शामिल हैं।
एक्सपर्ट का कहना है कि अरावली पहाड़ में जो दरारें हैं, उनमें हलचल शुरू हो चुकी है। अब ऐसे भूकंप के झटके जयपुर समेत इससे सटे हुए अन्य इलाकों में भी आते रहेंगे। जयपुर जोन-2 और पश्चिमी राजस्थान जोन-3 में आता है। इसमें सामान्य भूकंप के झटके आते हैं।
467 साल पहले चीन में आए भूकंप में 8.30 लाख लोगों की मौत हुई थी सबसे जानलेवा भूकंप चीन में 1556 में आया था, जिसमें 8.30 लाख लोगों की मौत हुई थी। तीव्रता के लिहाज से अब तक का सबसे खतरनाक भूकंप चिली में 22 मई 1960 को आया था। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 9.5 थी। इसकी वजह से आई सुनामी से दक्षिणी चिली, हवाई द्वीप, जापान, फिलीपींस, पूर्वी न्यूजीलैंड, दक्षिण-पूर्व ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में भयानक तबाही मची थी। इसमें 1655 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 3000 लोग घायल हुए थे।