Budget 2025 : बजट 2025 में किसानों के लिए बड़ी राहत की खबर सामने आ सकती है. सरकार 1 फरवरी के आगामी बजट में किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट 3 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने की तैयारी कर रही है.
मामले से परिचित एक सूत्र ने बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट में कहा कि केसीसी लिमिट में आखिरी बार बदलाव काफी समय पहले हुआ था, और सरकार को लगातार मांगें मिल रही थीं, इस कदम का उद्देश्य किसानों को सपोर्ट करना और ग्रामीण मांग को बढ़ावा देना है. इसलिए, सरकार केसीसी की लिमिट को बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर सकती है.
कब शुरू हुई किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम
किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम को अब से करीब 26 बरस पहले साल 1998 में शुरू किया गया था. इस स्कीम के तहत जो किसान खेती और उससे जुड़े कामों को करते हैं उन्हें 9 फीसदी के ब्याज पर शॉर्ट टर्म लोन प्रोवाइड कराया जाता है. इस स्कीम की खास बात ये है कि सरकार की ओर से लोन पर लगने वाले ब्याज पर 2 फीसदी की छूट भी देती है.
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वहीं जो किसान समय पर पूरे लोन का भुगतान कर देते हैं उन्हें प्रोत्साहन के तौर पर और 3 फीसदी की छूट दी जाती है. इसका मतलब है कि किसानों को ये लोन सिर्फ 4 फीसदी सालाना ब्याज पर दिया जाता है. 30 जून 2023 तक इस तरह के लोन लेने वालों की संख्या 7.4 करोड़ से ज्यादा थी. जिन पर 8.9 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया देखने को मिला था.
नहीं हुआ लिमिट में इजाफा
मीडिया रिपोर्ट में फिनटेक फर्म एडवारिस्क के को-फाउंडर एवं सीईओ विशाल शर्मा के अनुसार खेती की लागत काफी इजाफा हुआ है. इसके विपरीत किसानों को मिलने वाले लोन की लिमिट में काफी समय से कोई इजाफा नहीं हुआ है.
अगर बजट में केसीसी की लिमिट में इजाफा होता है तो एग्री सेक्टर में प्रोडक्शन में इजाफा होगा और एग्री इनकम में भी बढ़ोतरी देखने को मिलगी. जिसकी वजह से किसानों के लाइफ स्टाइल में बदलाव होने के साथ वह समय कर्ज की अदायगी भी कर सकेंगे.
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इन्हें भी कर्ज की जरुरत
नाबार्ड के चेयरमैन शाजी केवी ने बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट में कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड का मकसद छोटे किसानों को राहत देना है. उन्होंने कहा कि एग्रीकल्चर का मतलब सिर्फ फसल उगाना ही नहीं बल्कि उससे जुड़े हुए काम भी करना है.
उन्हें भी सब्सिडी वाले कर्ज की काफी जरुरत है. ताकि उनकी कमाई में भी इजाफा हो. उन्होंने कहा कि किसानों की कमाई में इजाफा करने के लिए नाबार्ड वित्तीय सेवा विभाग के साथ मिलकर एक कैंपेन भी चला रहा है. ताकि पशुपालन और मत्स्यपालन करने वाले लोगों को भी लोन मिल सके.
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कितनों को जारी हुए क्रेडिट कार्ड
शाजी केवी ने बताया कि इस कैंपेन में बैंक और ग्रामीण वित्तीय संस्थानों को शामिल किया गया है. साथ ही राज्य की सरकारों को मत्स्यपालकों के रजिस्ट्रेशन करने के लिए भी प्रोस्साहित किेया जा रहा है. किसानों का रजिस्ट्रेशन होने के बाद बैंकों को लोन के देने के लिए कहा जा सकता है.
नाबार्ड के डाटा के मुताबिक अक्टूबर 2024 तक को—ऑपरेटिव बैंकों और रीजनल रूरल बैंकों की ओर से 167.53 लाख किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए थे. जिनकी कुल क्रेडिट लिमिट 1.73 लाख करोड़ रुपए थी. डेरी किसानों को 11.24 लाख कार्ड जारी किए गए थे, जिनकी लिमिट 10,453.71 करोड़ रुपए थी. जिनमें से 65,000 किसान क्रेडिट कार्ड मत्स्यपालकों को जारी हुए थे, जिनकी लिमिट 341.70 करोड़ रुपए थी.