Maha Kumbh Amrit Snan : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कल से शुरू हुए महाकुंभ में आज पहला अमृत स्नान (शाही स्नान) हो रहा है। ब्रह्म मुहूर्त से साधु संतों के साथ ही आम भक्तों के संगम में डुबकी लगाने का क्रम जारी है। आज 5 करोड़ श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने का अनुमान है।
पहले अमृत स्नान की शुरुआत 13 अखाड़ों के शाही स्नान के साथ हुई। हर अखाड़े के अमृत स्नान के लिए 30 से 40 मिनट का समय लगा। पहले अखाड़ों से स्नान किया, जिसके बाद आम भक्तों ने डुबकी लगाई।
12 वर्षों के बाद आयोजित होने वाला महाकुंभ 13 जनवरी को शुरू हुआ, जो 26 फरवरी तक चलेगा. 45 दिनों तक चलने वाले इस धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन में 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय के मुताबिक इस बार महाकुंभ में 15 लाख से अधिक विदेशी श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है.
मकर संक्रांति के मौके पर विभिन्न अखाड़ों के नागा साधुओं ने संगम में पवित्र डुबकी लगाई, जिसे ‘अमृत स्नान’ (शाही स्नान) कहा जाता है. यह महाकुंभ 12 वर्षों के बाद आयोजित किया जा रहा है, हालांकि संतों का दावा है कि इस आयोजन के लिए 144 वर्षों के बाद एक बहुत ही दुर्लभ मुहूर्त बना है, जो समुद्र मंथन के दौरान बना था.
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मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर महाकुंभ 2025 का पहला अमृत स्नान विभिन्न अखाड़ों के साधुओं के साथ शुरू हुआ. 14 जनवरी को भोर से ही सभी 13 अखाड़े अपने जुलूस के साथ संगम तट पर जाने के लिए तैयार दिखे. हाथी, घोड़े, ऊँट पर सवार साधु-संत हाथों में त्रिशूल, गदा, भाला-बरछी लेकर ‘जय श्री राम’, ‘हर हर महादेव’ के जयघोष के साथ जब संगम तट के लिए निकले तो कई किलोमीटर लंबी लाइन लग गई. संतों, संन्यासियों और नागा साधुओं को देखने के लिए अखाड़ा मार्ग के दोनों ओर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ खड़ी रही.
सनातन धर्म का ज्ञान : विदेशी श्रद्धालु
रूस की एक और श्रद्धालु नृत्य तरंगिनी ने कहा, ‘मूल रूप से मैं रूस से हूं लेकिन मैं वृंदावन में रहती हूं… मैं बहुत उत्साहित हूं क्योंकि इस महाकुंभ मेले में भाग लेने का यह एक दुर्लभ अवसर है. क्योंकि यह बहुत खास है… हम सनातन धर्म का ज्ञान दुनिया के साथ साझा करना चाहते हैं.’
रूस की रहने वाली प्रियमदासी ने कहा, ‘मैं वृन्दावन में रहती हूं, लेकिन मैं मूल रूप से रूस से हूं… हम सनातन धर्म का प्रचार करने के उद्देश्य से अपने गुरु के मार्गदर्शन में यहां आए हैं. हम इस ज्ञान को लोगों के साथ साझा करना चाहते हैं. हम भगवत गीता लेकर आए हैं. हम लोगों को उनके वास्तविक जीवन और धर्म के बारे में याद दिलाना चाहते हैं और यह भी बताना चाहते हैं कि लोग इस दुनिया में कैसे खुश रह सकते हैं… व्यवस्थाएं बहुत अच्छी हैं.’
महानिर्वाण अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद ने कहा, ‘हम महाकुंभ में भारतीय सभ्यता की भव्यता का अनुभव कर रहे हैं. करोड़ों लोग हमारी संस्कृति का गौरव देख रहे हैं. हर तरफ खुशी और उत्साह है. लोग ठंड को भूल कर रात दो बजे से ही संतों के दर्शन का इंतजार कर रहे हैं. यहां अविश्वसनीय दृश्य हैं. जो लोग जातीय विभाजन पैदा करते हैं और हमारे धर्म पर दोषारोपण करते हैं, उन्हें यहां आकर देखना चाहिए कि करोड़ों की भीड़ में कोई ब्राह्मण या शूद्र नहीं है, केवल हिंदू और हिंदू संस्कृति है.’