प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खजुराहो में बुधवार को केन- बेतवा लिंक परियोजना का शिलान्यास किया। इसके अलावा उन्होंने ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट का उद्घाटन भी किया। इस मौके पर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन पर आधारित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। वाजपेयी पर डाक टिकट जारी किया गया।
प्रधानमंत्री ने यहां अपनी स्पीच की शुरुआत बुंदेलखंडी में की। कहा- वीरों की धरती ई बुंदेलखंड पर रहवे वारे सभी जनन को हमाई तरफ से हाथ जोड़के राम-राम पहुंचे।
उन्होंने अपनी स्पीच में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और बाबा साहेब अंबेडकर का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “देश में पानी से जुड़ी योजनाओं का क्रेडिट अंबेडकर को जाता है, लेकिन कांग्रेस ने कभी बाबा साहेब को इसका श्रेय नहीं दिया, लोगों को पता भी नहीं चलने दिया।”
PM मोदी की स्पीच, 3 नेताओं का जिक्र
1. अटल बिहारी वाजपेयी: प्रधानमंत्री ने कहा, “एमपी में आज हजारों करोड़ रुपए की विकास परियोजनाओं की शुरुआत हुई है। आज बहुत प्रेरणादायी दिन है। आज अटलजी की जन्म जयंती है। आज उनके जन्म के 100 साल हो रहे हैं। उन्होंने मुझ जैसे कई कार्यकर्ताओं को सिखाया है। देश के विकास में अटलजी का योगदान हमारे स्मृति पटल पर अटल रहेगा।”
2. भीम राव अंबेडकर: PM ने कहा, “भारत में जो बड़ी नदी परियोजनाएं बनीं, इनके पीछे डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर का ही विजन था। आज जो केंद्रीय जल आयोग है इसके पीछे भी डॉ. अंबेडकर के ही प्रयास थे, लेकिन कांग्रेस ने कभी जल संरक्षण के प्रयासों और बांधों के लिए बाबा साहेब को क्रेडिट नहीं दिया। किसी को पत भी नहीं चलने दिया।”
3. जवाहर लाल नेहरू: मोदी ने नेहरू का नाम नहीं लिया पर इशारा देते हुए बोले, “पानी के लिए दूरदर्शी आयोजन पर सोचने का क्रेडिट एक ही व्यक्ति ( जवाहर लाल नेहरू) को देने के नशे में सच्चे सेवक को भुला दिया गया। आज मैं बताता हूं, देश आजाद होने के बाद भारत की जल शक्ति, भारत के जल संसाधन, भारत में पानी के लिए बांधों की रचना… इन सबकी दूरदृष्टि किसी एक महापुरुष को क्रेडिट जाता है तो उस महापुरुष का नाम है बाबा साहेब अंबेडकर।”
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विकसित भारत बनाने में बुंदेलखंड का बड़ा योगदान होगा
पीएम ने कहा, बीते दो दशकों में मध्यप्रदेश ने अनेक पैमानों में शानदार काम किया। आने वाले दशकों में मप्र देश की टॉप इकोनॉमी में से एक होगा। इसमें बुंदेलखंड की बहुत बड़ी भूमिका होगी। विकसित भारत के लिए विकसित मप्र बनाने में बुंदेलखंड का बहुत बड़ा योगदान होगा।
एमपी ईको सर्किट, हैरिटेज सर्किट और वाइलड लाइफ सर्किट से जुड़ रहा है
पीएम मोदी ने कहा, आज सांची और अन्य बौद्ध स्तंभा को बौद्ध सर्किट से जोड़ा जा रहा है। गांधी सागर, ओंकारेश्वर डैम, इंदिरा सागर डैम, भेड़ाघाट, बाण सागर डैम ईको सर्किट का हिस्सा है।
खजुराहो, ग्वालियर, ओरछा, चंदेरी, मांडू ऐसे स्थलों को हैरिटेज सर्किट के रूप में कनेक्ट किया जा रहा है। पन्ना नेशनल पार्क को भी वाइल्ड लाइफ सर्किट से जोड़ा गया है। टाइगर रिजर्व में बीते वर्ष ढाई लाख पर्यटक आए हैं। यहां जो लिंक नहर बनाई जाएगी, उसमें पन्ना टाइगर रिजर्व के जीवों का भी ध्यान रखा गया है।
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पर्यटन बढ़ाने के प्रयास स्थानीय अर्थव्यवस्था को बड़ी ताकत देते हैं। भारत जब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने जा रहा है, तो दुनिया में भारत को लेकर जिज्ञासा बढ़ी है। दुनिया भारत को जानना चाहती है। समझना चाहती है। इसका बहुत अधिक फायदा मप्र को होने वाला है।
हाल में एक अमेरिकी अखबार में एक रिपोर्ट छपी है। खबर में लिखा गया है कि मप्र को दुनिया के 10 सबसे आकर्षक टूरिस्ट डेस्टीनेशन में से एक बताया गया है। दुनिया के टॉप टेन में एक मेरा मध्यप्रदेश।
एमपी टूरिज्म में हमेशा से अव्वल रहा- पीएम
पीएम ने कहा- हमारा मप्र टूरिज्म के मामले में हमेशा अव्वल रहा है। खजुराहो आया हूं और पर्यटन की चर्चा न करूं ऐसा हो सकता है क्या? पर्यटन ऐसा सेक्टर है जो युवाओं को रोजगार भी देता है और देश की अर्थव्यवस्थाओं को ताकत देता है।
मोदी बोले- कांग्रेस ने अंबेडकर का काम पता नहीं चलने दिया
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “भारत में जो बड़ी नदी परियोजनाएं बनीं, इनके पीछे डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर का ही विजन था। आज जो केंद्रीय जल आयोग है, इसके पीछे भी डॉ. अंबेडकर के ही प्रयास थे, लेकिन कांग्रेस ने कभी जल संरक्षण के प्रयासों और बांधों के लिए बाबा साहेब को क्रेडिट नहीं दिया। किसी को पत भी नहीं चलने दिया। आज सात दशक बाद भी देश के अनेक राज्यों के बीच पानी को लेकर कुछ न कुछ विवाद है।”
पानी की योजनाओं का क्रेडिट अंबेडकर को- PM
प्रधानमंत्री बोले, “पानी के लिए दूरदर्शी आयोजन, इसके विषय में किसने सोचा था? जो सच्चाई है, उसको दबाकर रखा गया। एक ही व्यक्ति को क्रेडिट देने के नशे में सच्चे सेवक को भुला दिया गया। आज मैं बताता हूं देश आजाद होने के बाद भारत की जल शक्ति, भारत के जल संसाधन, भारत में पानी के लिए बांधों की रचना… इन सबकी दूरदृष्टि किसी एक महापुरुष को क्रेडिट जाता है तो उस महापुरुष का नाम है बाबा साहेब अंबेडकर।”