नई दिल्ली: मणिपुर में जारी अशांति के बीच, कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने रविवार को भाजपा के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे एक आधिकारिक पत्र में एनपीपी ने कहा’ ‘मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में मणिपुर सरकार राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह से विफल रही है. मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए, नेशनल पीपुल्स पार्टी ने तत्काल प्रभाव से मणिपुर राज्य में बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया है.’
अब सवाल ये है कि एनपीपी के समर्थन वापस लेने के बाद क्या मणिपुर में एन बीरेन सिंह सरकार खतरे में आ गई है? तो इसका जवाब है नहीं. अगर 2022 में हुए मणिपुर विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो, बीजेपी ने 32, कांग्रेस ने 5, जदयू ने 6, नागा पीपुल्स फ्रंट ने 5 और कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी ने 7 सीटें जीती थीं. इसके अलावा कुकी पीपुल्स एलायंस ने 2 और 3 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी जीते थे.
दरअसल, 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 31 है और बीजेपी के पास खुद के 32 विधायक हैं. 2022 में विधानसभा चुनाव के कुछ समय बाद, जेडीयू के 6 में से 5 विधायक औपचारिक रूप से भगवा पार्टी में शामिल हो गए, जिससे असेंबली में बीजेपी के सदस्यों की संख्या 37 हो गई. इस प्रकार मणिपुर में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के पास अपने दम पर बहुमत है. एनपीपी के 7 विधायकों द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद भी सरकार अस्थिर नहीं होगी.
दरअसल, एक ही परिवार के छह लोग- तीन महिलाएं और तीन बच्चे क्षेत्र में 11 नवंबर की हिंसा के बाद जिरीबाम के बोरोबेक्रा क्षेत्र से लापता हो गए थे. सभी छह लोग मैतेई समुदाय से हैं और जून में इलाके में हिंसा भड़कने के बाद बोरोबेक्रा पुलिस स्टेशन में स्थापित एक राहत शिविर में रह रहे थे. मैतेई समूह आरोप लगा रहे हैं कि उनका अपहरण हथियारबंद हमार लोगों ने किया है, जो कथित तौर पर उग्रवादी हैं, जिन्होंने 11 नवंबर की सुबह बोरोब्रेका पुलिस स्टेशन पर हमला किया था.
जवाबी कार्रवाई में सीआरपीएफ ने 11 कुकी उग्रवादियों को मार गिराया था. सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ के बाद पीछे हटते समय उग्रवादियों ने बोरोब्रेका रिलीफ कैम्प से 6 लोगों का अपहरण कर लिया था. गत 15 नवंबर मणिपुर-असम सीमा पर जिरी और बराक नदियों के संगम के पास एक महिला और दो बच्चों के शव पाए गए. इस बीच रविवार सुबह अपहरण किए गए छह लोगों में से एक और 61 वर्षीय महिला का शव जिरीबाम की सीमा से लगे असम के कछार जिले में बराक नदी में तैरता हुआ पाया गया.
शवों के मिलने के बाद इंफाल घाटी में मैतेई समुदाय के लोगों में रोष है. उन्होंने 16 नवंबर को विरोध प्रदर्शन शुरू किया और सरकार को 24 घंटे के अंदर इस अपहरण और हत्याकांड में के लिए जिम्मेदार उग्रवादियों को पकड़ने का अल्टीमेटम दिया. उग्र भीड़ ने इंफाल घाटी में कई विधायकों और मंत्रियों के आवासों पर धावा बोल दिया. उग्र भीड़ ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के आवास पर भी हमला करने की कोशिश की. मणिपुर पुलिस ने संपत्तियों में कथित तोड़फोड़ और आगजनी के आरोप में 23 लोगों को गिरफ्तार किया है, जो स्थानीय अशांति में चिंताजनक वृद्धि का संकेत देता है.
इंफाल घाटी में फेक न्यूज के प्रसार को रोकने के लिए इंटरनेट और मोबाइल डेटा सर्विस सस्पेंड कर दी गई है. साथ ही अगली सूचना तक कर्फ्यू लगाया गया है. ये उपाय बढ़ती हिंसा की प्रतिक्रिया में उठाए गए हैं, जिसमें जन प्रतिनिधियों के घरों को निशाना बनाने वाली भीड़ को तितर-बितर करने के प्रयासों के दौरान आठ लोग घायल हो गए थे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र चुनाव के लिए अपने सभी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं. वह दिल्ली से मणिपुर के हालातों पर नजर बनाए हुए हैं. सीआरपीएफ के डीजी अनीश दयाल मणिपुर पहुंचे हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को राष्ट्रीय राजधानी में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की. वह सोमवार को भी इस मुद्दे पर विस्तृत बैठक करेंगे.