Nitish Kumar : चुनाव आयोग ने मंगलवार को महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया। महाराष्ट्र में एक चरण में और झारखंड में दो चरणों में चुनाव होगा। झारखंड जदयू के अध्यक्ष खीरू महतो ने राज्य में एनडीए के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने की बात दोहराई।
खीरू महतो ने कहा, “झारखंड में हम एनडीए गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। यह स्पष्ट है कि हमने सीटों की मांग की है, और बातचीत जारी है। सीटों का मामला जल्द ही साफ होगा। अगर तालमेल सही से हो जाता है, तो हम एक मजबूत आधार तैयार करके चुनाव में उतरेंगे।” उन्होंने आगे कहा, “हम अपनी ताकत का पूरा उपयोग करेंगे और संगठन के सहारे संघर्ष करते हुए केंद्र में सरकार बनाएंगे। हमने 11 सीटों की मांग की है, जिसे हमने लिखित में भी दिया है। इस पर बातचीत पहले ही शुरू हो चुकी है और यह अंतिम चरण में है। उम्मीद है कि जल्द ही इस पर आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा।”
उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग ने मंगलवार को महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया। महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के लिए एक चरण में 20 नवंबर को चुनाव होंगे। वहीं, झारखंड में दो चरणों में चुनाव कराया जाएगा। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया, “झारखंड की 81 विधानसभा सीटों के लिए दो चरणों में मतदान होगा। पहले चरण के लिए 13 नवंबर और दूसरे चरण के लिए 20 नवंबर को वोटिंग होगी। दोनों राज्यों के चुनावों के नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।”
बीजेपी ने नहीं किया था गठबंधन
इससे पहले 2019 में विधानसभा चुनाव के दौरान जदयू ने बीजेपी से गठबंधन कर सीट बंटवारे की कोशिश की थी। मगर उसे कोई खास सफलता नहीं मिली थी। उत्तर प्रदेश में भी बीते विधानसभा चुनाव के दौरान जदयू की तरफ से चुनाव लड़ने का काफी प्रयास किया गया। मगर उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने जदयू के साथ कोई गठबंधन नहीं किया।
अंतिम समय तक उस समय के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और तत्कालीन इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह बीजेपी से सीट बंटवारे की कोशिश में लगे रहे। मगर बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में एक सीट भी जदयू के साथ साझा नहीं किया। जेडीयू के लिए वो दौर कुछ और था यह दौर कुछ और है। मौजूदा राजनीति के हालात में जेडीयू केंद्र सरकार को समर्थन दे रही है। लोकसभा चुनाव में तमाम जेडीयू सांसदों का समर्थन केंद्र की मोदी सरकार को है। ऐसे में जेडीयू अपनी बात मनवाने और झारखंड में सीट बंटवारे के लिए दबाव बना सकती है।