Pahalgam Attack : 22 अप्रैल, 2025, पहलगाम की बायसरन घाटी में जंगल की ओर से तीन आतंकी आए। धर्म पूछ-पूछकर करीब 15 मिनट तक टूरिस्ट को गोली मारते रहे। कुल 26 लोगों की हत्या की और वापस जंगलों में गायब हो गए। एक महीना हो गया, सिक्योरिटी फोर्स लगातार ऑपरेशन चला रही हैं, लेकिन आतंकियों को पकड़ नहीं पाई।
जांच में बस तीन नाम पता चले, आदिल, मूसा और अली। तीनों पर 20-20 लाख का इनाम रखा गया, 3 हजार से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई, 113 लोग अरेस्ट किए गए, लेकिन आदिल, मूसा और अली का पता नहीं चला। उनकी लोकेशन तक ट्रेस नहीं हो पाई। जांच एजेंसियों को इसकी दो वजहें समझ आ रही हैं-
1. आतंकी 2 या 3 ओवरग्राउंड वर्कर्स के ही कॉन्टैक्ट में हैं, वही उन्हें जरूरी सामान पहुंचा रहे हैं। इससे आतंकियों को ट्रेस करना मुश्किल हो रहा है।
2. आतंकी जंगल, गुफाओं या पहाड़ी इलाकों में बने हाइड आउट में छिपे हैं, क्योंकि घरों में बने हाइड आउट की खबर लीक होने का खतरा होता है।
जांच में अब तक क्या-क्या हुआ
बायसरन घाटी में हमले के बाद 22 अप्रैल की दोपहर पहलगाम पुलिस ने FIR दर्ज की थी। इसमें किसी आतंकी का नाम नहीं था। ये जरूर लिखा गया कि हमले के पीछे बॉर्डर पार यानी पाकिस्तान की साजिश है। इसके बाद अनंतनाग पुलिस ने 23 अप्रैल को एक पोस्टर जारी किया। इसमें लिखा था कि आतंकी हमले से जुड़ी जानकारी देने वाले को 20 लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा।
अगले दिन 24 अप्रैल को अनंतनाग पुलिस ने 3 स्केच जारी किए। इसमें तीन आतंकियों के नाम थे, अनंतनाग का आदिल हुसैन ठोकर, हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान और अली उर्फ तल्हा भाई। तीनों की खबर देने वालों के लिए अलग से 20-20 लाख रुपए इनाम की घोषणा की गई। मूसा और अली पाकिस्तानी हैं। मूसा पाकिस्तान के स्पेशल सर्विस ग्रुप में कमांडो रह चुका है।
स्केच के साथ एक फोटो भी जारी की गई। इसमें 4 आतंकी घने जंगल में राइफल लिए खड़े हैं। इनमें हाशिम मूसा और जुनैद अहमद भट्ट भी थे। जुनैद को सिक्योरिटी फोर्स ने दिसंबर, 2024 में दाचीगाम के जंगलों में मार गिराया था। उसी के मोबाइल से ये फोटो मिला था। जुनैद 20 अक्टूबर 2024 को सोनमर्ग में जेड मोड़ टनल पर हमले में शामिल था।
IG, DIG और SP रैंक के अफसर जांच कर रहे
हमले के अगले दिन 23 अप्रैल को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी NIA की टीम स्पॉट पर पहुंच गई थी। गृह मंत्रालय के आदेश के बाद 27 अप्रैल से NIA ने ऑफिशियली ये केस अपने हाथ में ले लिया। NIA चीफ सदानंद दाते केस की लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
एजेंसी के IG, DIG और SP रैंक के तीन अधिकारी जांच में जुटे हैं। NIA की एक टीम अब भी पहलगाम और आसपास के एरिया में लगातार जांच कर रही है। अब तक 3 हजार से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई है। इनमें से कई लोगों को हर रोज पहलगाम पुलिस स्टेशन में हाजिरी देने के लिए बुलाया जा रहा है।
7 मई को NIA ने मैसेज जारी कर लोगों से अपील की थी कि वे पहलगाम अटैक से जुड़े नए फोटो, वीडियो या कोई भी सूचना दे सकते हैं। इसके लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए। हालांकि, NIA ने अनंतनाग पुलिस की तरफ से जारी आतंकियों के स्केच से जुड़ी कोई जानकारी नहीं मांगी। न ही उनका नाम या उनके बारे में अलग से कोई जानकारी मांगी।
लोकल नेटवर्क के सपोर्ट से बच रहे आतंकी
दैनिक भास्कर ने इस पर अपने सोर्स से बात की। उन्होंने बताया कि संदिग्ध आतंकियों के बारे में सीधे सूचना मिलना आसान नहीं है। इसमें कोई शक नहीं है कि आतंकियों को कश्मीर में लोकल नेटवर्क से सपोर्ट मिला है। इसलिए जरूरी है कि लोकल सपोर्ट से जुड़ा लिंक मिल जाए। इससे आतंकियों को ट्रेस करना आसान हो जाएगा।
दूसरी बात कि आखिर आतंकियों की फोटो या स्केच खुद NIA ने क्यों नहीं जारी किया, इसकी वजह बताई गई कि NIA एंटी टेरर एजेंसी है। हर केस में नए सिरे से जांच करती है। इसलिए वो अनंतनाग पुलिस की तरफ से मिले इनपुट और स्केच पर काम कर रही है। साथ ही हर पहलू की नए तरीके से जांच कर रही है। इसलिए अभी कोई स्केच जारी नहीं किया गया।
आतंकी अली को पीड़ित परिवारों ने पहचाना
13 मई को साउथ कश्मीर के पुलवामा, शोपियां, त्राल समेत कई इलाकों में पोस्टर लगाए गए। ये पोस्टर उर्दू में थे। इन पर दो हेल्पलाइन नंबर भी दिए गए। एक नंबर आर्मी और दूसरा नंबर जम्मू कश्मीर पुलिस की तरफ से दिया गया।
इस पोस्टर में वही फोटो दिया गया, जो दिसंबर 2024 में आतंकी जुनैद अहमद के फोन से मिला था। फोटो में जुनैद और हाशिम मूसा साथ खड़े हैं। जुनैद मारा जा चुका है, इसलिए पोस्टर से उसकी फोटो हटा दी गई।
सूत्र बताते हैं, ‘बायसरन घाटी में हमले के चश्मदीदों ने आतंकी अली उर्फ तल्हा की पहचान की है। उसके बारे में बहुत कम जानकारी है।’ कुछ पीड़ित परिवारों ने अली को करीब से देखने की पुष्टि की है। सुरक्षा कारणों से हम इन परिवारों की पहचान उजागर नहीं कर रहे हैं।
रात में लोकेशन बदल रहे आतंकी
जांच एजेंसियों से जुड़े सूत्रों ने दैनिक भास्कर को बताया कि आतंकी लगातार घने जंगल, पहाड़ों और गुफाओं में बने हाइड आउट में छिप रहे हैं। वे रात में लोकेशन बदल रहे हैं। आतंकियों की मदद सिर्फ 2 से 3 ओवर ग्राउंड वर्कर ही कर रहे हैं। ये उनके बेहद करीबी हैं।
यही ओवर ग्राउंड वर्कर दूसरे नेटवर्क के जरिए आतंकियों की मदद कर रहे हैं। आशंका इस बात की भी है कि बायसरन घाटी में अटैक करने वाले आतंकी पिछले कई महीनों से कश्मीर में किसी से सीधे कॉन्टैक्ट में नहीं थे। सिर्फ वही खास 2-3 लोकल ओवर ग्राउंड वर्कर के संपर्क में रहे हैं। इसलिए उनके बारे में सटीक सूचना मिलने में दिक्कत हो रही है।
इसी नेटवर्क की तलाश में जांच एजेंसियां 3 हजार से ज्यादा लोगों से पूछताछ कर चुकी हैं। शक के आधार पर एक महीने में अब तक कुल 113 लोगों को गिरफ्तार कर PSA यानी पब्लिक सेफ्टी एक्ट में जेल भेज चुकी हैं।
PSA में अरेस्ट लोग इस बार दूसरे राज्यों में नहीं भेजे
आमतौर पर जम्मू-कश्मीर पुलिस पब्लिक सेफ्टी एक्ट में अरेस्ट आरोपियों को जम्मू-कश्मीर से बाहर दूसरे राज्यों की जेल में शिफ्ट कर देती थी। इस बार उन्हें जम्मू-कश्मीर की अलग-अलग जेलों में बंद रखा गया है, ताकि इनकी निगरानी के साथ जरूरत पड़ने पर आसानी से पूछताछ की जा सके।
NIA की टीम और लोकल पुलिस बायसरन घाटी में काम करने वाले लोगों पर अब भी नजर बनाए हुए है। जिप लाइन ऑपरेटर मुज्जमिल को रोज थाने में हाजिरी देनी होती है। इसी तरह घोड़े वाले और फोटोग्राफरों से भी पूछताछ चल रही है।
जांच एजेंसियों और जम्मू-कश्मीर पुलिस से जुड़े सोर्सेज ने दैनिक भास्कर को बताया कि पिछले दिनों सटीक सूचनाएं मिलीं हैं। इनकी मदद से 13 मई को शोपियां और 15 मई को त्राल में ऑपरेशन चलाए गए। पहले शोपियां के केलर में लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी संगठन TRF के 3 आतंकी मारे गए।
उसके 48 घंटे के भीतर ही जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े 3 आतंकियों को मार गिराया गया। उम्मीद है कि जल्द ही पहलगाम में अटैक करने वाले आतंकियों की भी सटीक सूचना मिल सकती है।