MP News : मध्य प्रदेश सरकार सिंगरौली शहर को खाली कराने की तैयारी कर रही है। यह राज्य के इतिहास का सबसे बड़ा विस्थापन होगा, जिसमें 50 हजार लोगों को अपना घर छोड़कर नई जगह बसना होगा। इस विस्थापन का मुख्य कारण सिंगरौली में कोयले के विशाल भंडार का खनन करना है। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने 2025-26 के बजट में इस विस्थापन का जिक्र किया है।
कोयले का अकूत भंडार
सिंगरौली को कोयला खनन की राजधानी के रूप में जाना जाता है। यहां 2724 मिलियन टन कोयले का भंडार मौजूद है। नार्दर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) ने यहां कोयले का विशाल भंडार मिलने के बाद इसके विस्तार की योजना बनाई है।
विस्थापन का प्रभाव
इस विस्थापन से लगभग 20 हजार मकान तोड़े जाएंगे और 50 हजार लोग बेघर हो जाएंगे। लोगों के पुनर्वास की योजना अभी स्पष्ट नहीं है। विस्थापन से लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
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पर्यावरणीय चिंताएं
कोयला खनन और विस्थापन से पर्यावरणीय चिंताएं भी बढ़ेंगी। इससे वायु और जल प्रदूषण का खतरा बढ़ेगा।
सरकार की योजना
सरकार का कहना है कि यह विस्थापन विकास के लिए जरूरी है। सिंगरौली को एक नए नगर के रूप में विकसित किया जाएगा।
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स्थानीय विरोध
विस्थापन को लेकर स्थानीय लोगों में असंतोष है। वे अपने घरों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।
भविष्य की चुनौतियां
सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती लोगों का पुनर्वास करना और पर्यावरणीय नुकसान को कम करना है। सिंगरौली का विस्थापन मध्य प्रदेश के लिए एक बड़ी चुनौती है। सरकार को लोगों के हितों और पर्यावरण की रक्षा के बीच संतुलन बनाना होगा।
आमतौर पर देश के कोयला क्षेत्रा में कोल सीम की मोटाई 30 मीटर तक होती है, लेकिन सिंगरौली में कोयला क्षेत्र में कोल सीम 138 मीटर तक की खोजी गई है। सिंगरौली के झिंगुदरा में यह 162 मीटर तक है। नार्दर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड की जांच में यहां कोयले का विशाल भंडार पाए जाने के बाद विस्थापन की रणनीति बनाई है। इसके तहत सिंगरौली के मोरवा और आसपास के हिस्से को हटाया जाएगा।