International Tea Day : आज अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस है। चाय हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का बहुत बड़ा हिस्सा है। सुबह उठकर चाय पीना हमारे लिए खास होता है। चाय हमें ताजगी देती है और थकान दूर करती है। जब हम दोस्तों या परिवार के साथ मिलते हैं, तो चाय के साथ बातें करना मजेदार होता है।
भारत में चाय संस्कृति का हिस्सा बन चुकी है। घर में सुबह नींद से जागते ही हम भारतीयों को चाय पीने की आदत सी बन चुकी है। कुछ लोग तो दिन में कई-कई बार चाय पीते हैं तो ज्यादातर लोग दिन में कम से कम दो बार। आप किसी भी शहर या गांव चले जाएं वहां सबसे पहले आपसे चाय के लिए ही पूछा जाता है। भारत में अगर आप किसी के घर पहुंचे तो वो आपसे चाय का ना पूछे, ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है। अगर ऐसा हो तो लोग कहते हैं- उनके यहां तो चाय का भी नहीं पूछा।
आंकड़े चौंकाने वाले हैं
मध्य प्रदेश के इंदौर में रोज़ाना 12 करोड़ रुपए से ज़्यादा की चाय पी जाती है। इसका मतलब है कि इंदौरी हर दिन लगभग 12 लाख कप से अधिक चाय का आनंद लेते हैं। यह आंकड़ा ही बताता है कि इस शहर के लिए चाय कितनी ज़रूरी है।
चायपत्ती का सबसे बड़ा बाज़ार
इंदौर सिर्फ चाय पीने में आगे नहीं है, बल्कि यह चायपत्ती का भी राज्य का सबसे बड़ा बाज़ार है। चाय व्यवसाय से जुड़े रामू जैन बताते हैं कि इंदौर और इसके 30 किलोमीटर के दायरे में हर महीने 11 लाख किलोग्राम से अधिक चायपत्ती की खपत होती है।
पूरे मध्य प्रदेश में चायपत्ती यहीं से भेजी जाती है और इस कारोबार का मासिक मूल्य ₹30 करोड़ से अधिक है। असम और पश्चिम बंगाल से विशेष रूप से चाय इंदौर मंगवाई जाती है। दिलचस्प बात यह है कि कुल खपत का केवल 1% हिस्सा ही ग्रीन टी का है, क्योंकि इंदौरी अपनी पारंपरिक चाय को ही ज़्यादा पसंद करते हैं।
स्टार्टअप्स से लेकर प्रसिद्ध ‘चाय के ठीये’ तक
पिछले तीन-चार सालों में, इंदौर में चाय से जुड़े स्टार्टअप्स को ज़बरदस्त बढ़ावा मिला है। शहर में विभिन्न प्रकार की चाय पेश करने वाले नए कैफे खुल गए हैं। अनुमान है कि इंदौर में करीब 10 हज़ार छोटे-बड़े कैफे और चाय की दुकानें हैं, जहाँ सुबह की पहली किरण से लेकर देर रात तक चाय की चुस्कियां ली जाती हैं।
यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि इंदौर से शुरू हुए लगभग 200 चाय-संबंधित स्टार्टअप ‘स्टार्टअप इंडिया’ में पंजीकृत हैं। इंदौर की इस ‘चाय-दीवानगी’ को देखकर अब अन्य राज्यों के कई बड़े चाय ब्रांड भी यहाँ अपने आउटलेट खोल रहे हैं।
80% से अधिक इंदौरी नाश्ते से पहले या नाश्ते के साथ चाय का सेवन करते हैं, जो घरों में चाय की खपत का एक बड़ा कारण है। दफ्तरों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों, बाज़ारों और शहर के मुख्य ठिकानों पर भी चाय की भारी खपत होती है। आने वाले 4-5 वर्षों में ‘रेडी-टू-ड्रिंक (RTD)’ चाय की वृद्धि दर भी लगभग 6% रहने की उम्मीद है, जो चाय के प्रति इस दीवानगी को और बढ़ाएगी।
इंदौर में 12,000 से ज़्यादा चाय की दुकानें
शहर में चाय की दुकानों की संख्या 12 हज़ार से भी ज़्यादा है। वर्षा और ठंड के मौसम में चाय की मांग और भी बढ़ जाती है। 56 दुकान, विजय नगर, भंवरकुआं, कपड़ा मार्केट, सियागंज, राजबाड़ा और रेलवे स्टेशन के आसपास के क्षेत्रों में चाय की बिक्री सबसे ज़्यादा होती है। कई पुरानी दुकानें तो 50 वर्षों से भी अधिक समय से इंदौरियों को अपनी खास चाय परोस रही हैं, जो इस शहर की चाय संस्कृति का अभिन्न अंग बन चुकी हैं।
इंदौर की कुछ प्रसिद्ध चाय की दुकानें
मल्हारगंज की टिमटिम चाय: अपनी अनूठी टिमटिम चाय के लिए मशहूर।
सराफा थाने के सामने केसर की चाय: केसर के स्वाद वाली खास चाय।
मेघदूत वाली ‘शिवा चाय’ जो पूरे शहर में प्रसिद्ध है।
सुभाष चौक हनुमान मंदिर के पास चाकलेटी चाय: चॉकलेट प्रेमियों के लिए एक अनोखा अनुभव।
विशाल टी चाय गोराकुंड: अपनी विशेष चाय के लिए जानी जाती है।
नलियां बाखल की सोंठ की चाय: सर्दियों में शरीर को गरमाहट देने वाली सोंठ वाली चाय।
राज मोहल्ला की खराब चाय: नाम भले ही ‘खराब’ हो, लेकिन स्वाद बेमिसाल।
टावर चौराहा की कुल्लड़ चाय: मिट्टी के कुल्लड़ में चाय का देसी स्वाद।
इसके अलावा, येवले चाय, आंटी कॉफी, चाय प्वाइंट, चाय सुट्टा बार, और चायोस जैसे आधुनिक कैफे भी बेहद लोकप्रिय हैं।
इंदौरियों के लिए चाय सिर्फ़ एक ‘चाह’ नहीं, सम्मान का प्रतीक!
इंदौरियों के लिए चाय सिर्फ़ एक पेय नहीं, बल्कि ‘चाह’ है, यानी एक गहरी इच्छा और लगाव। इस शहर में अगर आप किसी को चाय के लिए नहीं पूछते, तो इसे अपमान माना जा सकता है। यहाँ चाय सम्मान का सूचक बन गई है।