HMPV Virus In MP : चीन के बाद भारत में भी एचएमपीवी वायरस तेजी से फैलने लगा है। मध्यप्रदेश में भी अलर्ट है। एम्स भोपाल ने एचएमपीवी के बढ़ते मामलों को देखते हुए सुरक्षा और जागरूकता के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
एम्स ने वायरस के फैलाव को रोकने और लोगों में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया। एचएमपीवी एक श्वसन वायरस है, जो मुख्य रूप से फेफड़ों और सांस लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। यह छोटे बच्चों, बुजुर्गों और जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है, उनके लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है। साथ ही, प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने स्वास्थ्य विभाग को वायरस की निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।
कैसे फैलता है एचएमपीवी वायरस
एम्स भोपाल के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. देवाशीष विश्वास ने बताया कि यह वायरस मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से निकलने वाली श्वसन बूंदों से फैलता है। इसके अलावा, संक्रमित व्यक्ति से सीधे संपर्क में आने या दूषित सतहों को छूने के बाद आंख, नाक या मुंह को छूने से भी संक्रमण हो सकता है।
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भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क
एचएमपीवी से बचने के लिए कुछ आसान सावधानियां हैं। हाथों को साबुन और पानी से 20 सेकेंड तक धोना चाहिए। भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनना जरूरी है। जब खांसी या छींक आए, तो मुंह और नाक को कोहनी या टिशू से ढंकना चाहिए। इसके अलावा, बार-बार छूने वाली चीजों को साफ रखना चाहिए और फ्लू तथा निमोनिया के टीके लगवाना चाहिए।
एचएमपीवी के सामान्य लक्षणों में बुखार, नाक बहना, गले में खराश, खांसी, सांस लेने में कठिनाई, घरघराहट और थकान शामिल हैं। कभी-कभी यह निमोनिया और ब्रोंकियोलाइटिस भी पैदा कर सकता है। सामान्य रूप से स्वस्थ लोग बिना किसी समस्या के ठीक हो जाते हैं, लेकिन छोटे बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा, हृदय रोग जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए यह वायरस ज्यादा खतरनाक हो सकता है।
एम्स में एचएमपीवी की जांच
एचएमपीवी वायरस की जांच आरटीपीसीआर तकनीक से की जाती है, जो एम्स भोपाल में उपलब्ध है। एम्स भोपाल श्वसन संक्रमणों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। यहां अनुभवी स्वास्थ्यकर्मियों की टीम और उन्नत प्रयोगशालाएं हैं, जो आपात स्थिति में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करती हैं।
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एम्स भोपाल में श्वसन वायरस की जांच के लिए आरटी-पीसीआर तकनीक का उपयोग किया जाता है, जो एचएमपीवी का पता लगाने का सबसे सही तरीका है। अस्पताल में एचएमपीवी के मरीजों के लिए सामान्य और आइसोलेशन बेड की व्यवस्था है, और गंभीर मरीजों के लिए वेंटिलेटर से सुसज्जित आईसीयू बेड भी उपलब्ध हैं। नमूनों की जांच एम्स भोपाल के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में की जाती है।
डॉ. अजय सिंह, कार्यपालक निदेशक, एम्स भोपाल
डरने की जरूरत नहीं
जीएमसी भोपाल के वरिष्ठ श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. पराग शर्मा ने बताया कि 21 साल पहले, 2001 में, यह वायरस नीदरलैंड में पाया गया था। ठंड के मौसम में जितने सामान्य फ्लू के मामले होते हैं, उनमें से लगभग एक फीसदी मामले एचएमपीवी वायरस के होते हैं। यह वायरस फ्लू वायरस की तरह हमेशा मौजूद रहता है, लेकिन ठंड के मौसम में ज्यादा सक्रिय हो जाता है।
डॉ. शर्मा ने कहा कि मरीज अगर लापरवाही न करें और समय पर इलाज कराएं, तो वे चार से पांच दिन में ठीक हो जाते हैं। हालांकि, जिन लोगों को सीपीओडी, टीबी, या फेफड़े से संबंधित गंभीर रोग हों, उन्हें अधिक सावधानी बरतनी चाहिए।
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यह है इलाज
मरीज को पर्याप्त पानी पिलाना चाहिए ताकि वह हाइड्रेटेड रहे।
मरीज को पूरी तरह से आराम करना चाहिए ताकि शरीर वायरस से लड़ने में सक्षम हो सके।
दर्द और श्वसन समस्याओं के लिए दवाएं दी जा सकती हैं।
गंभीर मामलों में, मरीज को ऑक्सीजन समर्थन की आवश्यकता हो सकती है।