मध्यप्रदेश के नीमच जिले के चौकड़ी गांव में तस्करी मामले की जांच करने पहुंची पुलिस टीम को ग्रामीणों ने करीब सात घंटे तक बंधक बना लिया। जब पुलिस ने अपनी गाड़ियों और कर्मियों को निकालने की कोशिश की, तो ग्रामीणों ने विरोध करते हुए पथराव कर दिया।
इसके बाद पुलिस ने स्थिति को काबू करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। हालांकि, पुलिस ने जैसे-तैसे अपने कर्मियों और वाहनों को सुरक्षित निकाल लिया। इस दौरान कुछ पुलिसकर्मी घायल हुए, जिनका इलाज चल रहा है। दरअसल ये पूरा मामला मध्य प्रदेश के नीमच जिले का बताया जा रहा है।
पुलिस की जांच में बाधा डालने की कोशिश
चौकड़ी गांव में पुलिस टीम तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किए गए आरोपी की जांच के लिए पहुंची थी। आरोप है कि पुलिस ने एक युअवैध वसूलीवक से 30 किलो मादक पदार्थ जब्त किया था, जिसे बाद में 54 किलो बताया गया। ग्रामीणों का कहना है कि यह कार्रवाई झूठी है और मादक पदार्थ तस्करी के नाम पर अवैध वसूली हो रही है।
ग्रामीणों ने जेसीबी से पुलिस की गाड़ियों को रोका
पुलिस टीम जब आरोपी के साथ चौकड़ी गांव पहुंची, तो ग्रामीणों ने उनकी तीन गाड़ियों को घेर लिया और पुलिस वाहनों के सामने जेसीबी खड़ी कर दी। यह स्थिति तब और बिगड़ी जब पुलिस टीम ने अपनी गाड़ियों को निकालने की कोशिश की, तो ग्रामीणों ने पथराव कर दिया। इसके बाद पुलिस को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी और आंसू गैस के गोले छोड़े गए।
पुलिस अधिकारियों और विधायक का हस्तक्षेप
मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों और मनासा विधायक अनिरुद्ध माधव मारू ने ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की। हालांकि, ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े रहे और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे थे। विधायक ने एक घंटे से अधिक समय तक ग्रामीणों से बातचीत की, लेकिन वे शांत नहीं हुए।
पुलिस की कार्रवाई और भविष्य की योजना
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नवल सिंह सिसोदिया ने बताया कि इस हंगामे में शामिल कुछ लोगों के खिलाफ नामजद और अज्ञात केस दर्ज किए जाएंगे। फिलहाल, पुलिस अवैध मादक पदार्थों को नष्ट करने की प्रक्रिया में लगी है और गांव में शांति बनाए रखने के प्रयास किए जा रहे हैं।