Mohan Government : मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। इस दौरान किसानों ने भू अधिग्रहण संशोधन ड्राफ्ट के मामले में अपना पक्ष रखा। अधिकारियों के तर्कों से किसान संघ संतुष्ट नहीं है। भारतीय किसान संघ ने कहा कि किसान की सलाह और विश्वास में लिए बिना भूमि का अधिग्रहण न हो।
भारतीय किसान संघ के प्रदेश प्रतिनिधिमंडल ने किसानों की समस्याओं व मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा विधानसभा में पारित भू अधिग्रहण संशोधन ड्राफ्ट के विषय पर किसानों की शंकाओं व उनके पक्ष को मजबूती के साथ रखा। किसान संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार को कृषि व किसान के लिए नीतिगत निर्णय करते समय किसान को विश्वास में लेना चाहिए।
किसान व किसानों के संगठनों से भी सलाह लेकर उससे प्रभावित होने वाले पहलुओं पर चर्चा करना चाहिए। भारतीय किसान संघ के तीनों प्रांतों, प्रदेश और अखिल भारतीय पदाधिकारियों के सामने सरकार के अधिकारियों ने मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन) विधेयक 2025 का प्रजेंटेशन रखा। जिसके बाद किसान संघ ने मुख्यमंत्री की मौजूदगी में सुझाव रखे।
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ये रखे सुझाव
किसान की सलाह व सहमति के बिना विकास परियोजना के लिये भू अधिग्रहण न किया जाये।
अधिग्रहित भूमि पर विकसित होने वाली परियोजना की समय सीमा तय की जाये।
तय सीमा में परियोजना पूर्ण न होने पर भूमि किसान को वापिस की जाये या वर्तमान बाजार मूल्य से मुआबजा दिया जाये।
नगरीय व ग्रामीण क्षेत्र में भूमि मालिक को विकसित भूमि का 60 प्रतिशत हिस्सा दिया जाये।
यदि 5 एकड़ से कम जोत वाले छोटे किसान की लेंड पुलिंग एक्ट में पूरी जमीन अधिग्रहीत किये जाने पर परियोजना पूर्ण होने तक किसान को जमीन का किराया दिया जाये।
जनजातीय क्षेत्रों में विकास परियोजनाओ के लिये भू अधिग्रहण करते समय वहां की सांस्कृतिक, सामाजिक परंपराओं और धरोहरें प्रभावित न हो। इसका ध्यान रखा जाये।
शासन के मानक अनुसार लेंड पुलिंग एक्ट योजना में पूर्ण विकसित भूमि व्यवसायिक व आवासीय में 60 प्रतिशत जमीन भूमि स्वामी व 40 प्रतिशत अन्य डेवलपर को दी जाये।
विकास परियोजना के लिये भू अधिग्रहण के दौरान किसान को बाजार मूल्य का 4 गुना मुआवजा दिया जाये।
भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसान के परिवार के एक सदस्य को शैक्षणिक योग्यतानुसार परियोजना में नौकरी दी जाये।
किसी व्यवसायिक परियोजना में भू अधिग्रहण किये जाने पर परियोजना से प्राप्त कुल लाभांश का 20 प्रतिशत भू स्वामियों में बांटा जाये।
किसानों की जमीन अधिग्रहित कर उद्योगों को न दिया जाये।
जनहित में भूमि अधिग्रहण से प्रभावित भूमि स्वामियों की सलाह लेकर ही परियोजना विकसित की जाए। केवल राजपत्रित अधिकारी की राय को ही जनहित न माना जाएं।
सिंचित बहु फसली वाली किसान की भूमि को अधिग्रहण न किया जाए।
भूमि अधिग्रहण जिस उद्देश्य के लिए किया जा रहा उसकी डीपी आर सार्वजनिक रखी जाए।15. भू अधिग्रहण के समय जिस उद्देश्य के लिए भूमि अधिग्रहित की गई है। अधिग्रहण होने के बाद वह उद्देश्य परिवर्तन नहीं होना चाहिए और न ही किसी को लीज पर दी जाए।
जिस परियोजना के नाम पर किसान की भूमि ली जा रही है, उस परियोजना के प्रारंभ के पूर्व किसान, सरकार व डेवलपर की समिति बनाई जाए। उस समिति के निर्णय उपरांत ही कोई कार्य उस भूमि पर हो।
2025 में डिफाल्टर हुए किसानों का ब्याज भरेगी सरकार
वहीं किसान संघ ने सहकारी बैंकों के ऋण 31 मार्च तक जमा न कर पाने के कारण डिफाल्टर हुए किसानों के विषय को मुख्यमंत्री को अवगत कराया। इस पर सीएम डॉ मोहन यादव ने आश्वासन दिया कि ऐसे किसानों का ब्याज सरकार भरेगी। किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है।