MP Hindi News : दिसंबर तक मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच जल बंटवारे का समझौता हो सकता है. जिसके लिए दोनों राज्यों की सरकारे लगातार काम कर रही है. एमपी के सीएम मोहन यादव और राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा के बीच भी कई बार मुलाकातें हो चुकी हैं. बताया जा रहा है कि मप्र-राजस्थान के बीच चंबल नदी के जल बंटवारे की परियोजना में मध्य प्रदेश में 21 बांध एक ही चरण में बनाए जाएंगे, जिससे प्रदेश की 6 लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा कृषि भूमि सिंचित होगी. हालांकि केंद्र सरकार ने दो चरण में बांध बनाने की बात कही थी, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से बातचीत करके एक ही चरण में सारे बांध बनाने पर सहमति बना ली है.
मप्र-राजस्थान में डीपीआर तैयार
इस बंटवारे में चंबल के अलावा पार्वती, कालीसिंध नदियां भी शामिल हैं. इन नदियों को ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी-पीकेसी) प्रोजेक्ट के तहत भी मध्य प्रदेश की डीपीआर तैयार हो गई है. यह केन बेतवा के बाद नदियों की लिंकिंग की दूसरी सबसे बड़ी परियोजना होगी. पहले यह प्रोजेक्ट नवंबर में होना था, लेकिन कई राज्यों के चुनाव की वजह से प्रोजेक्ट आगे बढ़ गया.
लेकिन माना जा रहा है कि अब दिसंबर में दोनों राज्यों के बीच यह समझौता पूरा हो जाएगा. केंद्रीय जल संसाधन विभाग के मुताबिक मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट यानि समझौते हस्ताक्षर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति में किया जाएगा. इस योजना से मध्य प्रदेश में 35000 करोड़ तक के काम आ सकते हैं.
जल बंटवारे से दोनों राज्यों को फायदा
दरअसल, इस जल बंटवारे से मध्य प्रदेश और राजस्थान दोनों राज्यों को फायदा होगा. क्योंकि दोनों राज्यों के बीच लंबे समय यह विवाद चल रहा था. लेकिन 28 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने मप्र-राजस्थान के बीच जल बंटवारे पर सहमति बना ली थी. इसके लिए योजना पर जो भी खर्चा होना है, उसका 10 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार का जल संसाधन विभाग देगा, जबकि 90 प्रतिशत अनुदान दोनों राज्यों की सरकारों का होगा.
मध्य प्रदेश को मिलेगा फायदा
मध्य प्रदेश सरकार का शेयर इस योजना में 3500 -4000 करोड़ का होगा. मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से जल बंटवारे को लेकर डीपीआर तैयार हो चुकी है. जिसमें जल बंटवारे की डिटेल, पानी का लेन-देन, योजना की लागत और योजना से होने वाले लाभ शामिल हैं. जल बंटवारे की वजह से मध्य प्रदेश को 6.15 लाख हेक्टेयर सिंचाई सुविधा मिलेगी.