MP News : मध्य प्रदेश में पशुओं के लिए डोर-टू-डोर इमरजेंसी सेवाएं देने के उद्देश्य से तत्कालीन शिवराज सरकार ने 12 मई 2023 को पशु संजीवनी योजना की शुरुआत की थी।
इस योजना के तहत 65 करोड़ रुपए की लागत से 406 विशेष एंबुलेंस खरीदी गई थीं, जो पशु चिकित्सा सुविधाओं से लैस थीं। अब मोहन सरकार इस योजना की जांच करने जा रही है।
‘एंबुलेंस को खरीदने की आवश्यकता नहीं थी’
पशुपालन मंत्री लखन पटेल ने एक मीडिया समूह से बातचीत में कहा, इन एंबुलेंस को खरीदने की आवश्यकता नहीं थी, सरकार पूरे मामले की जांच कराएगी। उन्होंने यह भी कहा कि जांच के बाद ही तय किया जाएगा कि इन एंबुलेंस का भविष्य क्या होगा।
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शिवराज सरकार ने महिंद्रा बोलेरो कैंपर गोल्ड पिकअप वाहनों को कस्टमाइज करके एंबुलेंस में बदला था। इन वाहनों में 2 दवा कैबिनेट, वॉशबेसिन और फ्रिज लगाए गए थे, जो बाद में हटा दिए गए।
पशु संजीवनी योजना का उद्देश्य और संचालन
इस योजना के तहत, 1962 टोल फ्री नंबर के माध्यम से पशुपालकों को सेवाएं प्रदान की जानी थीं। योजना के अनुसार, राज्य के 313 विकासखंडों में एक-एक एंबुलेंस भेजी गई थी और 55 जिला मुख्यालयों में एक-एक एंबुलेंस रखी गई थी।
इस योजना का खर्च 60% केंद्र सरकार और 40% राज्य सरकार ने वहन किया था। महिंद्रा बोलेरो कैंपर गोल्ड पिकअप को मॉडिफाई करके एंबुलेंस बनाया गया था। इसके संचालन के लिए एक पशु चिकित्सक, एक सहायक और एक ड्राइवर नियुक्त किए गए थे।
दुर्घटनाओं के कारण एंबुलेंस में बदलाव
विभागीय सूत्रों के मुताबिक, इन एंबुलेंस में पीछे की ओर रखे गए भारी सामान की वजह से बार-बार दुर्घटनाएं हो रही थीं। गाड़ियों के पलटने की घटनाएं बढ़ गईं, जिससे जान-माल का नुकसान हो रहा था।
इस कारण, इन एंबुलेंस से कैबिनेट, फ्रिज और वॉशबेसिन हटाने का फैसला लिया गया। विभागीय जांच में यह भी सामने आया कि गाड़ियों का चेसिस और कमानी अतिरिक्त भार से क्षतिग्रस्त हो रहे थे। जानकारी के अनुसार कई जिलों में एंबुलेंस खराब हो चुकी हैं।
एंबुलेंस की कीमत और खर्चे पर सवाल
शिवराज सरकार ने इन एंबुलेंस को मॉडिफाई करने के लिए 6 लाख रुपए खर्च किए थे, जबकि एक बोलेरो की कीमत करीब 10 लाख थी। इन एंबुलेंस को मॉडिफाई करने के बाद इनकी कीमत 16 लाख रुपए तक पहुंच गई थी। अब, मोहन सरकार ने इस मामले की जांच शुरू करने का फैसला किया है और यह तय करने का काम किया है कि इन एंबुलेंस का भविष्य क्या होगा।